बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 8
नेतृत्व
(Leadership)
प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
अथवा
नेतृत्व को परिभाषित करते हुए इसकी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
नेतृत्व की अवधारणा
विभिन्न विद्वानों ने नेतृत्व की अवधारणा को अनेक प्रकार से स्पष्ट किया है। लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण से नेतृत्व का अर्थ ऐसी स्थिति से समझा जाता है जिसमें कुछ व्यक्ति स्वेच्छा से किसी दूसरे व्यक्ति के आदेशों का पालन कर रहे हों। यदि किसी व्यक्ति में शक्ति के आधार पर अन्य व्यक्तियों से इच्छित व्यवहार करा लेने की क्षमता है तो इसे भी नेतृत्व की अवधारणा के अन्तर्गत सम्मिलित कर लिया जाता है। वास्तव में यह सभी अर्थ अत्यंत संकुचित हैं। व्यावहारिक रूप से नेतृत्व व्यवहार का वह ढंग है जिसमें एक व्यक्ति दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होने की अपेक्षा अपने व्यवहार से दूसरे व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता हैं। यह कार्य चाहे दबाव के द्वारा किया गया हो अथवा व्यक्तिव सम्बंधी गुणों के प्रदर्शित करके।
पिगर ने नेतृत्व को परिभाषित करते हुए कहा है - "नेतृत्व व्यक्तित्व और पर्यावरण के सम्बंधों को स्पष्ट करने वाली एक धारणा है। यह उस स्थिति की विवेचना करती है जिसमें एक व्यक्ति ने एक विशष पर्यावरण के अतंर्गत इस प्रकार स्थान ग्रहण कर लिया हो कि उसकी इच्छा, भावना और अन्तर्दृष्टि किसी सामान्य लक्ष्य को पाने के लिये दूसरे व्यक्ति को अनुशासित करती है तथा उन पर नियंत्रण रखती है।"
लेपियर तथा फार्न्सवर्थ के अनुसार - "नेतृत्व वह व्यवहार है जो दूसरे लोगों के व्यवहारों को उससे अधिक प्रभावित करता है जितना कि दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार नेता को प्रभावित . करते हैं।' इस परिभाषा के द्वारा लेपियर ने नेतृत्व को नेता और उसके अनुयायियों के बीच पाए जाने वाले सम्बंधों के आधार पर स्पष्ट किया है।'
सीमेन तथा मॉरिस के शब्दों में - "नेतृत्व का तात्पर्य एक व्यक्ति के द्वारा किये जाने वाले उन कार्यों से हैं जो दूसरे व्यक्तियों को एक विशेष दिशा में प्रभावित करते हैं।' इससे स्पष्ट है कि नेतृत्व का तात्पर्य व्यक्तियों के व्यवहारों को एक निश्चित अथवा इच्छित दिशा की ओर मोड़ना है।
टीड ने लिखा है - "नेतृत्व एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये लोगों को सहयोग देने के लिये प्रभावित किया जा सके।" उदाहरण के लिये, ग्राम एक इकाई है जिसमें एक अथवा अनेक ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता होता हैं जो अन्य व्यक्तियों के सामने उसके लक्ष्यों का निर्धारण कर सकें तथा उनको प्राप्त करने के लिये सभी लोगों को मिल-जुल कर कार्य करने की प्रेरणा दे सकें। टीड. के अनुसार प्रभाव के इसी प्रतिमान को हम नेतृत्व कह सकते हैं।
नेतृत्व की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिये यह आवश्यक है कि नेतृत्व एवं प्रभुत्व के अंतर को स्पष्ट कर लिया जाए।
किम्बाल यंग के शब्दों मे - "प्रभुत्व को शक्ति के एक ऐसे साधन के रूप में देखा जा सकता है जिसका उपभोग एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति की मनोवृत्तियों और क्रियाओं को नियंत्रित करने तथा उन्हें परिवर्तित करने के लिये किया जाता है।" इस दृष्टिकोण से प्रभुत्व में शक्ति अथवा सत्ता का तत्व आवश्यकता रूप से जुड़ा रहता है। प्रभुत्व द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों में जो परिवर्तन लाये जाते हैं वह साधारणतया दबाव के द्वारा होते हैं। इसके विपरीत नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहारों में जो परिवर्तन उत्पन्न करता है वह ऐच्छिक होता है। उदाहरण के लिये, यदि एक अधिकारी अपने कार्यालय में दूसरे कर्मचारियों के व्यवहारों में इच्छित परिवर्तन करता है तो इसे प्रभुत्व कहा जाएगा, नेतृत्व नहीं। इसके अतिरिक्त नेतृत्व की सफलता के लिये नेता और उसके अनुयायियों में पारस्परिक त्याग का होना आवश्यक है जबकि प्रभुत्व को बिना किसी घनिष्ठता और त्याग के भी बनाए रखा जा सकता है।
एण्डरसन का कथन है - कि नेतृत्व से सम्बंधित व्यवहार साधारणतया प्रगतिशील होते हैं जबकि प्रभुत्व में रूढ़िवादी तत्व अधिक होते हैं। इसके उपरांत भी यह स्वीकार करना होगा कि नेतृत्व और प्रभुत्व को पूरी तरह एक-दूसरे से पृथक नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि नेतृत्व में भी कुछ व्यक्ति नेता के अनुयायी होते हैं और प्रभुत्व में भी कुछ व्यक्तियों को किसी व्यक्ति के अधीन रहकर कार्य करना पड़ता है। किम्बाल यंग ने लिखा है - "जिसे हम साधारणतया नेतृत्व कहते हैं उसकी विवेचना सही तौर पर प्रभुत्व के रूप में ही की जानी चाहिये।
उपयुक्त विश्लेषण के आधार पर नेतृत्व की विशेषताओं को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है-
1. नेतृत्व एक प्रकार की क्रिया अथवा व्यवहार है जिसमें निर्देश, सुझाव, आग्रह तथा प्रभुत्व जैसे तत्वों का समावेश होता है।
2. नेतृत्व नेता तथा अनुयायियों के सम्बंधों की एक विशेष अभिव्यक्ति है। जब एक नेता अपने अनुयायियों के व्यवहारों से प्रभावित होने की अपेक्षा उनके व्यवहारों को अधिक सीमा तक प्रभावित करता है, केवल तभी हम इस स्थिति को नेतृत्व कहते हैं।
3. नेतृत्व से सम्बंधित प्रभाव की प्रक्रिया में दबाव का अधिक समावेश नहीं होता। यदि कुछ दबाव होता भी है तो केवल नेता के नैतिक प्रभाव का। नेतृत्व को साधारणतया स्वेच्छा से ग्रहण किया जाता है।
4. नेतृत्व कभी अनियोजित नहीं होता बल्कि इसके द्वारा विचारपूर्वक अनुयायियों के व्यवहारों को एक निश्चित दिशा में मोड़ दिया जाता है।
5. पीगर्स का कथन है कि नेतृत्व पारस्परिक उत्तेजना की एक प्रक्रिया है। इससे स्पष्ट होता है कि नेतृत्व के द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों में किया जाने वाला परिवर्तन साधारणतया उत्तेजना के माध्यम से प्रभावपूर्ण बनता है।
6. प्रत्येक नेतृत्व की एक विशेष परिस्थिति होती है। परिस्थिति का तात्पर्य एक विशेष क्षेत्र से है। इस दृष्टिकोण से एक ही व्यक्ति भिन्न-भिन्न प्रकार के नेतृत्व से प्रभावित हो सकता है।
7. नेतृत्व एक ऐसा शब्द है जिससे किसी व्यक्ति की श्रेष्ठता का बोध होता है
8. नेतृत्व के लिये दो पक्ष अर्थात् नेता और अनुयायी दोनों का होना अनिवार्य है। नेता अनुयायियों के व्यवहार को अधिक सीमा तक प्रभावित करता है।
9. समय तथा परिस्थिति के अनुसार नेतृत्व के स्वरूप में बदलाव होता रहता है।
10. नेता तथा अनुयायियों में ज्यादा परस्पर सहयोगात्मक सम्बंध होता है। यही कारण हैं कि नेता अपने अनुयायियों को कभी आदेश देता है, कभी सुझाव देता है एवं कभी अनुनय विनय भी करता है।
11. सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों में विभिन्न तरह का नेतृत्व पाया जाता है। इतनी ही नहीं, विभिन्न परिस्थितियों में भी विभिन्न प्रकार का नेतृत्व पाया जाता है। यही कारण है कि कोई राजनीतिक क्षेत्र का नेता होता है तथा कोई धार्मिक क्षेत्र का नेता होता है कोई शिक्षा क्षेत्र का नेता होता है तथा कोई संगीत क्षेत्र का नेता होता है अर्थात् विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नेतृत्व पाया जाता है।
12. इसमें नेता तथा अनुयायी दोनों परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
13. यह एक विशिष्ट तरह का व्यवहार है जो प्रभुत्व एवं अनुनय-विनय के संबंधों पर आधारित होता है।
14. नेतृत्व समूह, संगठन, राज्य, समाज के व्यवहार को निर्धारित करता है।
15. समूह के सभी लोग नेतृत्व के सुझावों तथा जिज्ञासाओं का अनुसरण करते हैं।
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